
मार्तण्ड की माँ एक बार अपने भाई से मिलने नन्दूर सिंगोटा गयी! सदा की तरह महालसापति बाबा के समीप बैट कर बाबा की सेवा कर रहे थे! यकायक बाबा बोले, “अरे, मेरे एक भक्त को फोड़ा हो गया है और वह बहुत पीड़ा में है, मुझे भी अपने नितम्ब पर एक फोड़ा हो गया है! जल्द ही मै बेहतर महसूस करूंगा !”.. महालसापति साफ़ देख सकते थे की बाबा के नितम्ब पर एक फोड़ा हो गया था !उन्हें बैटने में बहुत असुविधा हो रही थी और ज्यादा दर्द भी हो रहा था! ,महालसापति इसके लिए बहुत चिंतित थे, परंतु बाबा बोले, “भक्त चिंता न करो, दो या तीन दिन में घाव भर जायेगा और मै बेहतर महसूस करूंगा “! उस समय महालसापति ये नहीं जानते थे की बाबा ने किसका फोड़ा अपने ऊपर ले लिया !वह यह बात सहर्ष जानता था की बाबा अपने बक्तोंका पीड़ा अपने ऊपर ले लेते है,और उन्हें दर्द और कष्टोंसे छुटकारा दिला देते! दो दिन बाद वह फोड़ा फटगया और बाबा को दर्द से आराम मिला!
इस घटना के तीन दिन पश्च्यात महलसा को अपनी पत्नी का एक पत्र मिला., उसने लिखा की किस तरह उन्हें अपने नितम्ब पर एक फोड़ा हो गया था !उनका दर्द असहनीय था इसलिए वुसने बाबा से आराम पानेकेलिए प्रार्थना की थी, उन्हें तुरंत आराम मिल गया और दो दिन बाद वह फोड़ा भी फट गया और उन्हें ठीक महसूस हुवा, तब उन्हें समझ आया की बाबा ने फोड़ा स्वयं अपने ऊपर ले लिया था जब उनकी पत्नी ने उनसे आराम पाने की प्रार्थना की थी!
बाबा के प्रेम और दया से भाव विभोर हो महालसापति बोले, “देखो मार्तण्ड, अपने माँ को आराम देने केलिए बाबा ने दर्द और फोड़ा स्वयं अपने ऊपर ले लिया !अतः तुम्हारी माँ ठीक हो गयी !हमारी परमात्मा और हमारी माँ (बाबा )को कितना कष्ट सहनना पड़ा !”
जय साई 🙏