ओम श्री साई नाथाय नमः

काशीराम नामक एक भक्त कपडोंका धंधा करता था ! एकबार वह कपडे बेचकर नौर नामक गांव से वापस आरहा था, तब चोरोंने उस के सामन पूरे लुटा लिए थे ! काशीराम डर से उन्हें नहीं रोके ! बाद में उन चोरोंकी नज़र उसके थैली पर पड़ी! वह थैली में मिश्री का चूर था, संत जानकीदास की सलाह के अनुसार, चींटियोंको खिलाने केलिए काशीराम ने मिश्री ललिए थे ! थैली को दूसरा समझकर चोरोंने थैली उन्हें देदेनेकेलिए कहाँ, काशीराम उसमे कुछ नहीं है बोले तो भी वे नहीं सुने ! चोरोंने थैली को उससे छीन ने की कोशिश कर रहे तो काशीराम यकायक एक चोर के चाकू लेकर उनपर वार करके दो चोरोंको मारदिया !बाकी चोरोंसे वह लड़ते वक्त और एक चोर ने कुल्हाड़ी से उसके सर पर मारने से वह बेहोश होकर जमीन पर गिरगया ! काशीराम मरगया समझ कर चोरोंने डर के मारे भाग गए ! कुछ धेर बाद वह होश में आगया और सर को कपडे से बाँध कर अपने साई पर भरोसे से सीधा साई के पास शिरडी आया ! हॉस्पटल को नहीं गया ! वहाँ बाबा के आज्ञानुसार श्यामा से इलाज पाकर स्वास्थ्य होगये ! हम तो ऐसी स्थिति में भय भीत होकर सीधा हॉस्पिटल को भागते है !

बाद में पता चला की, जब वह चोरोंसे लड़ रहे थे, तभी द्वारकामाई में साई, क्रोध से किसी को मारनेका भंगिमा करतेहुए, “पीटो,.. मारो !” कहते हुए चिल्लाराहे थे !तब काशीराम को पता चला की, साई की कृपा से ही उस में धीरज बढ़ कर चोरोंसे लड़ने का मनोबल प्राप्त हुआ !
काशीराम के साहस केलिए पुलिस अधिकारियों ने उसे एक तलवार भी प्रदान किया !
सच है की बाबा पर जो विश्वास रखेगा, वह कभी नहीं हारेगा !🙏🙏👍
जय साईनाथ 🙏